क्या आपने भी कभी अपना मोबाइल ऐप्लिकेशन तैयार करने का सपना देखा है. यदि हां तो आपको गूगल के ऐप इनवर्टर की जरूरत होगी. इसे गूगल ने बनाया है और मेसाचुएट्स इंस्टीच्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी इसे मेनटेन करता है. इस ओपन-सोर्स तकनीक की मदद से एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए यूजर सॉफ्टवेयर ऐप्लीकेशन को बनाने और विकसित कर सकते हैं. इसके विजुअल इंटरफेस और ड्रैग एंड ड्रॉप फीचर का शुक्रिया कि ऐप इनवर्टर ऐप्लीकेशन डेवलपमेंट में अपनी कुशलता को जांचने और विकति करने का नए डेवलेपर्स के लिए एक बड़ा हथियार साबित होगा.
ऐप इनवेन्टर एक ऐसा गूगल ऐप्लिकेशन है जो यूजर को अपना एंड्रॉयड स्मार्टफोन ऐप्लिकेशन तैयार करने की काबलियत देता है. आइए इस नए प्रोग्राम के फीचर के बारे में आपको बताएं.
प्रोग्राम को इन्सटॉल करने के लिए जरूरी है कि आप सबसे पहले इनवेन्टर ऐप के आधिकारिक वेबसाइट पर अपना पंजीकरण कराएं. इसके प्रयोग के लिए गूगल की अनुमति की आवश्यकता होगी. इस ऐप्लिकेशन को डाउनलोड करने के लिए इस प्रश्नावली को भरिए. ध्यान रखें कि इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए जीमेल अकाउंट की जरूरत पड़ेगी.
ऐप इनवेन्टर Macintosh, विंडोज, और GNU/लीनक्स जैसे आॉपरेटिंग सिस्टम के अनुकूल है. यही नहीं यह MacOSX 10.5 और 10.6, विंडोज XP, विंडोज विस्टा और विंडोज 7; साथ ही साथ ऊबन्तू 8+ और Debian 5 + के भी अनुकूल है.
इसी प्रकार फायरफॉक्स, एप्पल सफारी, गूगल क्रोम, माइक्रोसॉफ्ट इन्टरनेट एक्सप्लोरर आदि वेब ब्राउजर भी ऐप इनवेन्टर के अनुकूल हैं. ध्यान रखें कि इसमे जावा 1.6 जरूर इन्सटॉल हों. लेकिन यदि आपके कंप्यूटर में पहले से ही जावा इन्सटॉल है तो डाउनलोड करने के लिए बस यहां क्लिक कीजिए.
फिलहाल ये ऐप्लिकेशन केवल एन्ड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम तक सीमित है. इस सॉफ्टवेयर का प्रयोग करने के लिए आपको एक यूएसबी केबल की जरूरत पड़ेगी जो उस कंप्यूटर से कनेक्ट कर सके जिसपर ये सॉफ्टवेयर रन कर रहा है.
ध्यान रखें कि आप बिना स्मार्टफोन के भी ऐप इनवेन्टर का प्रयोग कर सकते हैं. इस ऐप्लिकेशन में एक एमूलेटर शामिल है जो मोबाइल फोन को रिप्लेस करने में मदद करेगा.
ऐप इनवेन्टर एक आउट-ऑफ-बॉक्स ऐप्लिकेशन है जो आपको इस बात की सहूलियत देता है कि जब आप ऐप्लिकेशन को तैयार कर रहे हों तो स्क्रीन पर उसकी प्रगति को आपने आप देख सकें. इसका ऑपरेशन बहुत आसान है: ऐप्लिकेशन को कस्टमाइज करने के लिए उन विजुअल फैक्टर को जोड़ता है जो कोड ब्लॉक से जुड़े होते हैं:
इस ऐप्लिकेशन की मदद से यूजर सामान्य फीचर को जोड़ सकते हैं. जो फीचर उपलब्ध हैं उनमें बटन, टेक्स्ट बॉक्सेज, इमेज, साउंड, फाइंडर और कॉन्टैक्ट इनफॉरमेशन शामिल हैं:
अधिक जानकारी के लिए, आप गूगल लैब्स ट्यूटोरियल पढ़ें. इसके अलावा, आप ऐप्लिकेशन क्रिएशन पर यूट्यूब के कुछ संक्षिप्त ट्यूटोरियल को भी देख सकते हैं.
एप्लिकेशन एंड्रॉयड और एंड्रॉयड की आधिकारिक वेबसाइट आपके लिए दो उपयोगी साइट हैं.
जब आपके ऐप्लिकेशन को शेयर करने के बात आती है, तो कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है. ऐप्पल और एंड्रॉयड दोनों में मार्केट और एक्सेसिबिलटी के औधार पर कई खूबियां और खामियां हैं. चलिए कुछ बिंदुओं पर विचार करें कि कब आप अपना ऐप्लिकेशन पब्लिश करें.
ऐप्पल प्लेटफार्म तक एक्सेसिबलिटी कुछ सीमित मॉ़डल, जैसे कि आईफोन तक ही सीमित है. इसका नतीजा ये होता है कि यूजर की भी सीमित संख्या में ऑफर और फीचर्स तक पहुंच रहेगी.
एक तरफ तो एंड्रॉयड का बाजार कुछ ज्यादा प्रतियोगी होगा. एंड्रॉयड प्लेटफार्म को लगभग 60 हैंडेट के जरिए एक्सेस किया जा सकता ह. ये हैंडसेट महंगे से लेकर सस्ते स्मार्टफोन मॉडल वाले हो सकते हैं.
अप्रैल 2010 में, ऐप्पल ने दावा किया था कि पूरी दुनिया में आईफोन और आईफोन टच के लगभग 8 करोड़ 50 मिलियन यूजर होंगे. इसके विपरीत, पिछले कुछ सालों में ऐप्पल के मुकबले प्रतियोगियों की तादाद बढ़ी है. गूगल की मानें तो हर दिन 160,000 डिवाइसों को एंड्रॉयड से लैस किया जाता है. ये प्रति महीने 50 लाख डिवाइस के बराबर हुआ!
जो ऐप्लिकेशन तैयार करना या खरीदना चाहते हैं वे दो बिलकुल अलग तरह की सेवाओं को चुन सकते हैं. ऐप स्टोर ऐप्लिकेशन का एक्सेस प्रदान करता है. इसे तैयार करने के लिए वेबसाइट से लाइसेंस लेना बिलकुल अनिवार्य है. तुलनात्मक रूप से देखें तो एंड्रॉयड एक ओपन सिस्टम की तरह काम करता है. यूजर कई फ्री ऐप्लिकेशन में से भी चुन सकते हैं. ऑपरेटिंग सिस्टम ओपन सोर्स होगा. इसके अतिरिक्त ऐप इनवेन्टर सॉफ्टवेयर की मदद से कोई भी आपन खुद का ऐप्लिकेशन तैयार कर सकता है.
एंड्रॉयड यूजर ऐप इनवेन्टर सॉफ्टवेयर को यहां से डाउनलोड कर सकते हैं. यहां अतिरिक्त ट्यूटोरियल और न्यूज अपडेट्स भी उपलब्ध हैं.
जहां तक ऐप्पल डेवेलपर साइट को एक्सेस करने का सवाल है तो ये इस लिंक की मदद से किया जा सकता है. यदि आप आईफोन ऐप्लिकेशन को डेवलप करना चाहते हैं तो ध्यान रखें कि इसके लिए सबसे पहले आपको लाइसेंस लेने की जरूरत पड़ेगी.
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