मोबाइल पर पहले से तय किए हुए भौगोलिक सीमाओं (जिसे हम जियोफेन्स के रूप में भी जानते हैं) के भीतर वर्चुअल (आभासी) एरिया को परिभाषित करने के लिए Geofencing जीपीएस तकनीक का इस्तेमाल करता है. जब भी परिभाषित सीमाओं के भीतर कोई इवेंट होता है, एक खास क्रिया अपने आप होने लगती है. उदाहरण के लिए, जियोफेन्स में आने या जाने वाले किसी भी पंजीकृत यूजर के बारे में मोबाइल फोन पर अपने आप मैसेज चला जाता है.
जियोफेन्सिंग में कई खूबियां हैं. इसमें बच्चों की निगरानी, कर्मचारियों के वाहनों की निगरानी के साथ ही साथ बाजार को लक्षित करने सहित कई तरह के व्यावहारिक ऐप्लिकेशन हैं. यह तकनीक कई मोबाइल ऐप का सबसे महत्वपूर्ण फीचर है. और इसका प्रयोग आमतौर पर जियोफेंस से बाहर निकलने या जियोफेन्स के भीतर घुसने वाले यूजर को कमर्शियल मैसेज (ऐड) भेजने के लिए किया जाता है.
बेसिक जियोफेन्सिंग की मदद से मोबाइल ऐप्लिकेशन जियोफेंस यानि जियोग्राफिकल एरिया के भीतर रजिस्टर्ड यूजर के मूवमेंट को ट्रैक करने में सहायता करता है.
जियोफेन्स को दो बिंदुओं के जरिए समझा जा सकता है. पहला आपका लोकेशन और दूसरा आपके 'फेन्स' या बेड़े की सीमा. जियोफेंस की सीमा को आपके लोकेशन से लगभग अनंत दूरी तक बढ़ाया जा सकता है. तो दूसरी ओर इसे बस पास की गली जितने दूर तक सीमित किया जा सकता है या आधी दुनिया जितना दूर भी रखा जा सकता है.
इस लेख में, हम मार्केटिंग और विज्ञापन के संदर्भ में जियोफेन्सिंग के व्यावहारिक प्रयोग को ध्यान में रखते हुए चर्चा करेंगे. हाल में नेशनल सिंडिकेट ऑफ कम्यूनिकेशन ने एक शोध किया. इसमें पता चला कि जियोफेंस से जो भी मैसेज भेजे गए उनमें से 28% फीसदी यूजर स्टोर को विजिट करने के लिए आए.
जियोफेन्सिंग की मदद से सही मैसेज सही कस्टमर तक रियल टाइम में और सही तरीके से पहुंचता है. किसी स्मार्टफोन यूजर को मैसेज भी भेजा जा सकता है जब वह स्टोर के पास हो या भीतर में हो (जिसने पहले से अपनी सहमति दे दी हो). जियोफेन्सिंग का इस्तेमाल रणनीति को बेहतर करने, रिटेलर को उनके फिजिकल और वर्चुअल स्टोर के बीच तालमेल स्थापित करने और यूजर्स की खरीददारी की नई आदतों के साथ सामंजस्य बैठाने में किया जा सकता है.
उपभोक्ता स्टोर में फिजकल और डिजिटल दोनों रूपों में मौजूद होता है. प्रोडक्टस खरीदने की कौन सी प्रक्रिया हो इसे तय करने के तरीके को गाइड किया जा सकता है. इसकी मदद से शोरूमिंग के खतरे को कम किया जा सकता है जो कारोबार के लिए बेहद खतरनाक हो सकता है. जियोफेन्सिंग का इस्तेमाल मानचित्र पर किसी व्यवसाय को ढूंढने, जैसे कि मानचित्र पर मौजूद नजदीक के सभी दूकानों की लिस्ट, में भी किया जा सकता है.
NAO-Campus® एक ऐसी तकनीक है जिसे पोलस्टार ने 3डी विजुअलाइजेशन के साथ इनडोर जिया-टैगिंग के लिए विकसित किया है. चीन के चूंगचींग अग्निशमन खतरनाक इमारतों में अपनी सुरक्षा को बढ़ाने के लिए इसी तकनीक का इस्तेमाल करता है.
iBeacon तकनीक को ऐप्पल ने विकसित किया है. यह ब्लूटूथ की मदद से डिवाइस का पता लगता है. इसकी मदद से यूजर नजदीक के यूजर को खोज सकता है और उनसे सूचनाएं हासिल कर सकता है. ये नई तकनीक शोरूमिंग से लड़ने का एक हथियार है.
शॉपिंग आउटलेट्स के लिए फिडजप को माइक्रो लोकेशन तकनीक में महारत हासिल है. फिडजप एक खास तरह की ध्वनि (जिसे इंसान के कान नहीं सुन सकते) तकनीक का प्रयोग करता है जो पास के मोबाइल उपकरणों को ढूंढता है और उन्हें विज्ञापन से जुड़े संदेश भेजता है.
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