UPD और TCP प्रोटोकॉल का इस्तेमाल आईपी ऐड्रेस के आधार वाले इंटरनेट पर कुछ जानकारियां या डाटा के लेन-देन के लिए किया जाता है. इन दोनों में TCP अधिक लोकप्रिय है. इस आर्टिकल में हम संक्षेप में आपको बताएंगे कि UDP और TCP प्रोटोकॉल में क्या अंतर होता है.
UDP यानी (User Diagram Protocol) एक नॉन-कनेक्शन ओरिएंटेड प्रोटोकॉल है. जब 'क' नाम की मशीन 'ख' नाम की मशीन को पैकेट भेजती है, स्ट्रीम नॉनडायरेक्शनल होती है. इसका मतलब कि डाटा को ट्रांसमिट करने का काम बिना 'ख' मशीन या रेसिपिएंट को आगाह या चेतावनी दिए बगैर डाटा को भेजने का काम होता है. इधर रेसिपिएंट यानी 'ख' मशीन भी बिना 'क' यानी ट्रांसमिटर मशीन को बताए या डाटा रिसीव करती है.
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जब UDP प्रोटोकॉल की ओर से भेजे गए डाटा से ट्रांसमिटर को वो जानकारी भेजना संभव नहीं होता है. नतीजा ये होता है कि रेसिपिएंट को सिवाय आईपी ऐड्रेस के मालूम नहीं होता कि डाटा कौन भेज रहा है.
UDP के उलट, TCP (Transmission Control Protocol) कॉमन ओरिएंटेड है. जब मशीन 'क' मशीन 'ख' को डाटा भेजती है, तो मशीन 'ख' को डाटा के आगमन की सूचना मिलती है. फिर स्वीकार किए जाने की रिसिप्ट के साथ डाटा अच्छे तरीके से पहुंचा या नहीं, इस बात को परखा जाता है.
डाटा का CRC कंट्रोल गणित से जुड़े समीकरण पर आधारित है. ये भेजे गए डाटा की इंटीग्रिटी की जांच करता है. यदि रिसीव हुआ डाटा करप्ट हो चुका है, तो टीसीपी प्रोटोकॉल रेसिपिएंट को इस बात की इजाजत देता है कि वो सेंडर को ये जानकारी दे.
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