हर दिन हम अपने स्क्रीन के आगे घंटों बिता देते हैं: जब हम काम नहीं कर रहे होते, तब हम कोई सीरीज या मूवीज देख रहे होते हैं, या ईमेल का जवाब दे रहे होते हैं, वीडियो गेम खेल या अपना सोशल नेटवर्क खंगाल रहे होते हैं. इस तरह लगातार स्क्रीन पर रहने से हमारी आंखों (हमारे मस्तिष्क) को काफी नुकसान होता है.
आज हम इस आर्टिकल में बताएंगे कि स्क्रीन के आगे ज्यादा समय बिताने से होने वाले नुकसान से कैसे बचा जाए. इसके लिए हम आपको कुछ टिप्स बताएंगे.
जब आप अपना मोबाइल, टैबलेट और कंप्यूटर या पीसी ऑन करते हैं तो इसकी स्क्रीन से नीली रोशनी निकलती है. ये इसलिए निकलती है ताकि हम और आप स्क्रीन पर होने वाली एक्टिविटी को देख सकें. एक तरफ तो ये फायदा है, पर इसका नुकसान भी है. ये रोशनी अपने साथ कई समस्याएं लेकर आती है.
इस रोशनी से आपके दिमाग को रात में भी दिन होने का "धोखा" होता है. यही वजह है कि ऐसे कई लोग, जो बिस्तर में जाने और आंखें बंद करने से पहले तक स्क्रीन देखते रहते हैं, उन्हें नींद आने में बहुत कठिनाई होती है.
दूसरी ओर, भले हम वीडियो ज्यादा देखते हों, लेकिन आमतौर पर हम स्क्रीन का इस्तेमाल लिखा हुआ पढ़ने- चाहे वो आर्टिकल हो, ईमेल या सोशल नेटवर्क पर कोई सामान्य मैसेज हो, में करते हैं. इसका मतलब ये कि हम अधिकांश समय स्क्रीन पर आंखें टिकाए रहते हैं और अक्सर पलकें झपकाना भूल जाते हैं. इसका नतीजा ड्राई आईज, ब्लेफेराइटिस (आईलिड में जलन) और आंखों पर दबाव होता है. पर इससे धीरे धीरे हमें विजन प्रॉब्लम हो सकती है जैसे कि ऐस्टिग्मैटिज्म या मायोपिया.
यही नहीं, अपने गैजेट पर जरूरत से ज्यादा ध्यान केंद्रित करने या लगातार देखने से हमें सर दर्द, गले और कंधों में दर्द की शिकायत हो सकती है. पक्का आपको भी कभी न कभी ये समस्या आई होगी.
बता दें, कि वैसे तो बाजार में वैसे चश्मे मिलते हैं जिनसे स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी से सुरक्षा मिलती है. लेकिन ऐसे चश्मे कितना काम करते हैं, और कारगर होते हैं इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं मिला है. आइए, हम यहां आपकी आंखों की सुरक्षा के लिए कुछ जानकारों की ओर से दिए गए सुझाव की बात करते हैं.
अपने स्क्रीन को कस्टमाइज करें: जब भी संभव हो, अपने स्क्रीन के ब्राइटनेस और कंट्रास्ट को बदलते रहें. स्क्रीन की लाइट और कंट्रास्ट जितना कम होगा, ये आपकी आंखों को उतना ही कम नुकसान पहुंचाएगा. हां, इस बात का भी ध्यान रखें कि लाइट और कंट्रास्ट को इतना भी कम ना कर दें कि आपकी आंखों पर बहुत ज्यादा जोर पड़े.
जहां तक संभव हो, रात को या जब भी आपके आस-पास कुदरती रोशनी नहीं हो, ऐप्लिकेशन में दिए हुए डार्क मोड को एक्टिवेट कर लें.
डिवाइस और खुद के बीच दूरी बनाए रखें: ये दूरी जितनी अधिक हो, उतना बेहतर. यदि आप चश्मा पहने तैं तो जब भी कंप्यूटर, टैबलेट या लैपटॉप ओपन करें तो इन्हें पहन लें. ये अपने स्क्रीन को जूम करने से बेहतर तरीका होगा.
आंखों को आराम दें: जानकारों की सलाह है कि आप 20-20-20 का नियम फॉलो करें. यानी हर 20 मिनट पर 20 सेकेंट के लिए स्क्रीन से निगाहें हटा कर किसी और दिशा में दूर यानी 20 फीट या छह मीटर तक देखें. इससे आपकी आंखों को बीच-बीच में आराम मिलता रहेगा.
स्क्रीन देखते समय बीच-बीच में अपनी पलकें झपकातें रहिए. इससे आपकी आंखें हाइड्रेट रहेंगी. ये बात आपको थोड़ी बचकानी लगे, लेकिन ऐसा करने के लिए कुछ सेकेंड पर शॉर्ट अलार्म लगा लें. इससे आपको थोड़ी थोड़ी देर पर पलकें झपकाने आदत हो जाएगी. (बाद में आप बिना अलार्म के भी इसे करते रहेंगे). इसके अलावा यदि आपको अपनी आंखों में सूखापन लगे तो आर्टिफिशियल आंसूं का इस्तेमाल जरूर करें.
सोने के एक घंटे पहले स्क्रीन बंद कर दें: ऐसा करने से नींद अच्छी आएगी और आपकी आंखें और दिमाग आपको शुक्रिया कहेंगे.
अंत में, वैसे तो इसके फायदों के बारे में सब जानते हैं, तो आप भी स्क्रीन फिल्टर का इस्तेमाल कर सकते हैं. ये आपकी डिवाइस से निकलने वाली नीली रोशनी और हरे वेवलेंथ को फिल्टर करता रहेगा.
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