क्या आप भी नेट सर्फ करते वक्त खुद को गुमनाम रखना और ट्रैक होने से बचना चाहते हैं? तो Tor Browser आपके लिए है. ये एक फ्री ब्राउजर है, जो ऐसी तकनीक का इस्तेमाल करता है जिससे आपकी पहचान गारंटी है, कि छिपी रहती है.
ये अब हममें से किसी से छिपा नहीं है कि हम सब इंटरनेट पर ट्रैक किए जाते हैं. कैसे? बेशक हमारे IP ऐड्रेस से. इससे उस डिवाइस की पहचान होती है जिससे हम कनेक्ट होते हैं. इसके अलावा साइट्स ट्रैकर्स और दूसरे कूकीज की मदद से हमारी ट्रैक जर्नी और पसंद को याद रखते हैं. जैसे कि Google जैसा सर्च इंजन हमारे सारे रिक्वेस्ट को स्टोर कर लेता है. इसके अलावा गूगल हमारे नैविगेशन, आइडेंटिफायर्स और पासवर्ड को भी सेव कर लेता है.
ऑटोमैटिक आइडेंटिफिकेशन के कुछ फायदे तो हैं. जैसे कि बार-बार इस्तेमाल की जाने वाली सर्विस से कनेक्शन (मैसेजिंग, सोशल नेटवर्क, डिस्कशन फोरम वगैरह) की सुविधा रहती है. लेकिन इसके कई नुकसान भी है. ये एडवर्टाइजर्स को हमारे रिसर्च और रुचि के आधार पर टारगेटेड एडवरटाइजिंग डिस्पले करने की सुविधा तो देता ही है, साथ ही साथ कमर्शियल कंपनियों के फायदे के लिए हमारी निजी जानकारियां उनसे शेयर करता है. इससे हाल के वर्षों में कई तरह के स्कैंडल भी उभर कर सामने आए हैं. इसके अलावा आप सबने यात्रा बुकिंग साइटों के बारे में सुना ही होगा, जो प्रत्येक यात्रा के साथ कृत्रिम रूप से कीमतों को बढ़ा देते हैं.
वाकई, कुछ सालों तक क्रोम, फायरफॉक्स या एज जैसे लोकप्रिय ब्राउजर प्राइवेट ब्राउजिंग मोड में काम करते थे. ये तकनीक, जो लगातार विकसित हो रही है, "normal" ब्राउजिंग के मुकाबले अधिक आपके लिए अधिक गोपनीय होती है. लेकिन इसका असर अपेक्षाकृत अधिक लिमिटेड है. क्योंकि यदि ब्राउजर हिस्ट्री, कूकीज, कैचे और फार्म में डाली गई जानकारियों को हटाते हुए डिवाइस (कंप्यूटर, टैबलेट या स्मार्टफोन) पर हुए सेशन का ट्रैक नहीं रखे, तो ये वाकई में गुमनामी की गारंटी नहीं दे सकता है. यहां इस बात पर भी ध्यान देने की जरूरत है कि पब्लिशर्स एनॉनिमिस मोड के बारे में बात तक नहीं करते हैं. वाकई आप जिस साइट पर जाते हैं वो खास ब्राउजिंग डेटा, देखे गए पेज, आईपी ऐड्रेस, को रिकॉर्ड कर सकती है.
हालांकि, बेहद सावधानी से वेब सर्फिंग के रास्ते हैं. सबसे अछा टोर का इस्तेमाल है. ये एक "superimposed", ग्लोबल और डिसेंट्रलाइज्ड नेटवर्क है. ये इंटरनेट पर की जारी आपकी किसी तरह की निगरानी के खिलाफ सुरक्षा देता है. इसके लिए ये "in onions " (पूरा आर्टिकल विकीपीडिया पर देखें) नाम की राउटिंग तकनीक का इस्तेमाल करता है. आपको टोर के कुछ कायदे समझ से परे लग सकते हैं, लेकिन फ्री और फ्री नेविगेशन सॉफ्टवेयर टोर ब्राउजर इसे सरल तरीके से इस्तेमाल करता है. ये एक ही साथ Windows, macOS, Linux और Android पर उपलब्ध होता है.
Tor Browser दिखने में एक क्लासिक ब्राउजर है. ये सभी तरह के सामान्य कार्य: टैब्ड ब्राउजिंग, सेविंग फेवरिट बुकमार्क, टूलबार, जूम, एक्सटेंशन वगैरह करता है. वैसे तो इसे फायरफॉक्स के स्पेशल वर्जन की मदद से तैयार किया गया है, ये Chrome, Firefox, Safari या Edge जैसे आधुनिक सॉफ्टवेयर के मुकाबले कम सॉफिस्टिकेटेड है. सबसे बड़ी बात कि ये धीमा है. अच्छी बातें ये हैं: यह इंटरनेट पर डेटा पैकेट को रूट करने के लिए एक जटिल एन्क्रिप्शन सिस्टम और नोड्स के नेटवर्क दोनों का इस्तेमाल करता है, जो एक्सचेंजेज को धीमा कर देता है.
ये वास्तव में नोड्स-राउटर्स का एक सिस्टम है. दरअसल इससे टोर को नेविगेशन को समझने में आसानी होती है, जब सेशन के दौरान आईपी ऐड्रेस लगातार बदलता रहता है. लेकिन इस तकनीक से कुछ खास साइटों को दिक्कत भी होती है. जैसे कि अब्नॉर्मल एक्टिविटी जो उनके एक्सेस को एकदम से ब्लॉक कर देती है. इन सीमाओं या कमजोरियों की मतलब है टोर ब्राउजर को कभी-कभार ही इस्तेमाल करना चाहिए, केवल गोपनीय सर्चेज के समय ही.
अपने सामान्य वेब ब्राउजर के साथ हमारे Download runic में या Tor project साइट पर जाएं. वहां इसे डाउनलोड करने के लिए अपने ऑपरेटिंग सिस्टम के हिसाब से Tor Browser का वर्जन सलेक्ट करें.
एक बार फाइल रिकवर हो जाए तो क्लासिक प्रोसेस के मुताबिक इंस्टॉलेशन की प्रक्रिया शुरू करने के लिए इसे ओपन करें. इंस्टॉलेशन एक बार पूरा हो जाए, तो Tor Browser को लॉन्च करें. पहली बार लॉन्च करते वक्त, Tor Browser एक पेज डिस्पले करता है. इस पेज पर आपको टोर नेटवर्क से कनेक्ट करने के लिए कहा जाएगा. कनेक्शन स्थापित होने तक इंतजार करें.
आप अब टोर के जरिए "normal" वेब से कनेक्टेड हैं.
Tor Browser बाई डिफॉल्ट DuckDuckGo का इस्तेमाल करता है. DuckDuckGo एक ऐसा सर्च इंजन है, जो ना तो इनफॉर्मेशन रिकॉर्ड करता है, ना ही यूजर्स के रिक्वेस्ट ताकि आपकी गोपनीयता बनी रहे. ये गूगल की तरह ही एक पावरफुल सर्च इंजन है.
सर्च करने के लिए आपको सर्च फिल्ड में जाकर कीवर्ड डालने होगों, इसके बाद इसे वेलिडेट करने के लिए arrow क्लिक कीजिए या Enter की को दबाइए.
DuckDuckGo का सर्च इंजन गूगल की तरह ही, एक पेज पर लिंक के फॉर्म में है. अपने सर्च को रिफाइन करना हो तो गूगल की ही तरह पेज के टॉप पर मौजूद वेब, इमेजेज, वीडियोज, न्यूज, मैप्स सेक्शन पर क्लिक कीजिए.
बस बायीं ओर, आपके पास लोकेट सर्चेज का बटन भी होगा. स्विच को क्लिक करें और यदि आप अपने सर्च रिजल्ट को लोकलाइज करना चाहते हैं तो अपने दाहिने ओर मौजूद ड्रॉप-डाउन मेनू से देश का नाम चुन लीजिए. जैसे अमेरिका, या भारत. यदि आप इसे डिसेबल ही छोड़ देंगे तो DuckDuckGo दुनिया भर के सारे इलाकों के लिए रिजल्ट दिखाएगा. DuckDuckGo को कस्टमाइज करना हो, तो दाहिनी ओर Preferences मेनू को क्लिक कीजिए. इसके बाद आपको जैसा एपियरेंस (लाइट या डार्क, फॉन्ट, लैंग्वेज वगैरह) उसके मुताबिक अपने ऑप्शन सलेक्ट कीजिए.
व्यवहार में, Tor Browser का इस्तेमाल फायरफॉक्स की तरह ही है, क्योंकि दोनों का फाउंडेशन एक ही है. इसलिए दोनों में कई बातें समान हैं. चाहे वो एक्चुअल नेविगेशन का मसला हो, या हिस्ट्री, बुकमार्क के मैनेजमेंट, सेटिंग का मामला हो.
लेकिन अपने खास फंक्शनिंग के कारण, खासतौर से ओनियन नेटवर्क के नोड्स के इस्तेमाल के कारण, ब्राउजर कुछ बुरे सरप्राइजेज रिजर्व कर सकता है. ये उन साइटों के लिए कहा जा रहा है जिन्हें आप एक्सेस नहीं कर पाते. ये "Access Denied" मैसेज डिस्पले करते हैं. कुछ को, जो रोबोट का शक करते हैं, एक्सेस हासिल करने के लिए कैपेचा डालने के लिए कहा जाता है. लेकिन हमेशा ऐसा नहीं होता.
यदि आपको किसी साइट का एक्सेस मना कर दिया जाता है, तो Tor Browser के मेन मेनू (URL बार के दाहिनी ओर मौजूद तीन हॉरिजेन्टल लाइन) को क्लिक कीजिए. यहां उस साइट के लिए New Tor circuit ऑप्शन को चुनिए. अब आपका ब्राउजर किसी दूसरे रूट या तरीके की मदद लेते हुए उस साइट को फिर से एक्सेस करने की कोशिश करेगा. f
यदि ये तरीका आपके काम नहीं आता, तो उसी मेनू में मौजूद New identity ऑप्शन को सलेक्ट कीजिए. Tor Browser अपने आप बंद होगा, और फिर से स्टार्ट होगा. ये टेक्नीक कई बार काम कर जाती है, हालांकि इसकी गारंटी नहीं दी जा सकती.
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